जानिए क्या है Chath पूजा में सूर्य को अर्घ देने का असली मतलब? | Dr Vivek Bindra #shorts
छठ का त्योहार बिहार सहित भारत के अन्य राज्यों में भी बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, छठ महापर्व की शुरुआत महाभारत काल से मानी जाती है। कहा जाता है कि भगवान सूर्य की कृपा से कुंती को कर्ण जैसे तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई थी। कर्ण प्रतिदिन अपने पिता सूर्यदेव को नदी के जल में खड़े होकर अर्घ देते थे, जिससे सूर्य को अर्घ देने की परंपरा शुरू हुई। एक और मान्यता के अनुसार, जब पांडवों ने जुए में अपना सारा राज-पाठ खो दिया था, तब द्रौपदी ने सबकुछ वापस पाने की मनोकामना से छठ का व्रत किया। छठ पूजा के पहले दिन, डूबते सूर्य को अर्घ देने की परंपरा है, क्योंकि मान्यता है कि इस समय सूर्य देव अपनी पत्नी देवी प्रत्युषा के साथ होते हैं। इस कारण शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ देकर देवी प्रत्युषा की भी उपासना की जाती है। पूजा के अंतिम दिन, उगते हुए सूर्य को अर्घ देने का विधान है, इसलिए इस दिन लोग अपने परिवार के साथ घाट पर जाते हैं और सूर्य देवता व छठी मैया की आराधना करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आप सभी को छठ महापर्व की शुभकामनाएं। #DrVivekBindra #BadaBusiness #ChathPuja #Chath #IndianFestival #IndianCulture #ChathMahaparv #BiharFestival #BiharCulture #IndianFestivals #SuryaDev #ChathiMaiya
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